आज मां चंद्रघंटा की पूजा, मुहूर्त, राहुकाल एवं दिशाशूल

आज 19 अक्टूबर दिन सोमवार है। हिन्दी पंंचांग के अनुसार, आज शुद्ध आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है। आज शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है। आज के दिन नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। उनकी आराधना करने से व्यक्ति के अंदर निर्भयता, वीरता, विनम्रता और सौम्यता का विकास होता है। आज के पंचांग में राहुकाल, शुभ मुहूर्त, दिशाशूल के अलावा सूर्योदय, चंद्रोदय, सूर्यास्त, चंद्रास्त आदि के बारे में भी जानकारी दी जा रही है।
आज का पंचांग
दिन: सोमवार, शुद्ध आश्विन मास, शुक्ल पक्ष, तृतीया तिथि।
आज का दिशाशूल: पूर्व।
आज का राहुकाल: प्रात: 07:30 बजे से 09:00 बजे तक।
आज की भद्रा: रात्रि के 12:44 बजे से 20 अक्टूबर को प्रात: 11:18 बजे समाप्त।
आज का पर्व एवं त्योहार: शारदीय नवरात्रि तृतीया।
विक्रम संवत 2077 शके 1942 दक्षिणायण, दक्षिणगोल, शरद ऋतु शुद्ध आश्विन मास शुक्ल पक्ष की तृतीया 14 घंटे 08 मिनट तक, तत्पश्चात् चतुर्थी विशाखा नक्षत्र 06 घंटे 08 मिनट तक, तत्पश्चात् अनुराधा नक्षत्र आयुष्मान योग 13 घंटे 18 मिनट तक, तत्पश्चात् सौभाग्य योग वृश्चिक में चंद्रमा।
आज का शुभ समय
अभिजित मुहूर्त: दिन में 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह में 06 बजकर 24 मिनट से 20 अक्टूबर को तड़के 03 बजकर 53 मिनट तक।
रवि योग: सुबह में 06 बजकर 24 मिनट से 20 अक्टूबर को तड़के 03 बजकर 53 मिनट तक।
अमृत काल: शाम को 06 बजकर 27 मिनट से शाम को 07 बजकर 54 मिनट तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजे से दोपहर 02 बजकर 45 मिनट तक।
सूर्योदय और सूर्यास्त 
आज नवरात्रि के तीसरे दिन सूर्योदय प्रात:काल 06 बजकर 24 मिनट पर हुआ है, वहीं सूर्यास्त आज शाम को 05 बजकर 47 मिनट पर होना है।
चंद्रोदय और चंद्रास्त 
आज का चंद्रोदय प्रात:काल 09 बजकर 00 मिनट पर होगा। वहीं, चंद्र का अस्त उसी दिन शाम को 07 बजकर 59 मिनट पर होगा।
आज शुद्ध आश्विन शुक्ल तृतीया है। सोमवार का दिन होने कारण आज आपको भगवान ​शिव की भी पूजा करनी चाहिए। आज आप कोई नया कार्य करना चाहते हैं तो शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें।

मां चंद्रघंटा के मंत्र:

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

ध्यान मंत्र:

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।

सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥

मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।

खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥

प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्।

कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

स्तोत्र पाठ:

आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।

अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥

चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्।

सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥

मां चंद्रघंटा की आरती:

नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।

मस्तक पर है अर्ध चन्द्र, मंद मंद मुस्कान॥

दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।

घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण॥

सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके सवर्ण शरीर।

करती विपदा शान्ति हरे भक्त की पीर॥

जितने देवी देवता सभी करें सम्मान॥

अपने शांत सवभाव से सबका करती ध्यान।

भव सागर में फसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण॥

नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।

जय माँ चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा॥ 

Leave a Reply